الآیة الثالثة فی بحثنا هذا تبیّن أحدیة الله بشکل ینفی کل شرک وانحراف.
قد نرى أحیاناً موجودات منفردة فی صفة من صفاتها، لکنّ هذه الموجودات تتفرد فی صفة أو عدّة صفات. أمّا الله فهو أحد فی ذاته، وأحد فی صفاته، وأحد فی أفعاله، أحدیته لا تقبل التعدد عقلا، إنّه أحد أزلی وأبدی لا تؤثر الحوادث على أحدیته، إنّه أحد فی الذهن وخارج الذهن، إنّه أحد فی أحدیته!