إنّ القرآن المجید لم یتعرّض کثیراً لذکر هذه الخصوصیات، وکلّ ما تعرّض له هو: أَنّ هناک برزخاً وأنّ فیه فریقاً یتنعّم بنعم الله وفریقاً آخر فی العذاب، ولکن ماهی التفاصیل؟ فإنّها لم تبیّن، ومن المحتمل أن یکون السبب فی ذلک هو أنّ سیرة القرآن هی بیان الاصول العامة وترک التفاصیل للسنّة.
أمّا ما بینته السنّة فی هذا المجال فهو ما یلی: