मसअला 626. पानी तो हैं लेकिन डर है कि वज़ू करने से बीमार हो जाएगा या उसकी बीमारी बढ़ जाएगी, या तेज़ हो जाएगी या उसका इलाज कठिन हो जाएगा तो इन सारी अवस्थाओं में तयम्मुम करे, लेकिन अगर गर्म पानी से वज़ू कर सकता हो और उसके लिए हानिकारक भी नही हो तो गर्म पानी से वज़ू या ग़ुस्ल करे, यह आवश्यक नही है कि हानि का विश्वास हो बल्कि अगर हानि का डर हो तब भी वज़ू नही करे बल्कि तयम्मुम करे।
मसअला 627. जो व्यक्ति आँखों से ग्रस्त हो और पानी उसके लिए हानिकारक हो अगर वह आँखों से आसपास का भाग धो सकता हो तब तो वज़ू करे अन्यथा तयम्मुम करे।
मसअला 628. जिसको मालूम है कि पानी उसके लिए हानिकारक है इसलिए उसन तयम्मुम किया और बात में पता चला कि पानि उसके लिए हानिकारक नही था तो उसका तयम्मुम सही नही है और अगर उस तयम्मुम से नमाज़ भी पढ़ चुका है ते एहतियाते वाजिब के अनुसार उस नमाज़ को दोबारा पढ़े और इसके उलट अगर अगर उसको विश्वास था कि पानी हानिकारक नही है और उसने वज़ू या ग़ुस्ल कर लिया बाद में पता चला कि पानी उसके लिए हानिकारक था तो एहतियाते वाजिब है कि तयम्मुम करे और अगर नमाज़ पढ़ चुका है तो उसको दोबारा पढ़े।