मसअला 484. बच्चे के माँ के पेट से पहले अंग के बाहर आते ही जो भी ख़ून आए वह “निफ़ास” है और इस अवस्था में रहने वाली औरत को “नफ़सा” कहते हैः इसलिए बच्चे के पैदा होने से पहले जो ख़ून आए वह निफ़ास नही है।
मसअला 485. यह भी संभव है कि निफ़ास केवल पल भर के लिए आए लेकिन दस दिन से अधिक कदापि नही आता ।
मसअला 486. निफ़ास के ख़ून में एहतियाते वाजिब यह है कि बच्चा पूरा बन चुका हो इसलिए अगर जमा हुआ ख़ून गर्भ से निकले और यह मालूम हो कि अगर यह गर्भ मे रहता तो बच्चा बनता तो ऐसी औरत को चाहिए की पवित्र औरतों वाले कार्य करे और जिन चीज़ो को मासिक धर्म में रहने वाली औरत छोड़ती है उनको छोड़े।
मसअला 487. अगर शक हो कि कोई वस्तु गिरी है कि नही! या जो कुछ गिरा है वह रह जाता चो बच्चा बन जाता या न बनता तो जो ख़ून निकले वह निफ़ास नही है और छानबीन करना भी आवश्यक नही है।
मसअला 488. जो कार्य मासिक धर्म वाली औरत पर हराम हैं वही निफ़ाल वाली पर भी हराम हैं और जो चीज़े मासिक धर्म वाली पर वाजिब, मुसतहिब या मकरूह हैं निफ़ास वाली के लिए भी यही हुक्म है।
मसअला 489. निफ़ास की अवस्था में औरत से संभोग करना हराम है और अगर पति संभोग करे तो एहतियाते मुसतहिब है कि जिस प्रकार मासिक धर्म वाली औरत के बारे में बयान किया गया है उसी प्रकार यह भी कफ़्फ़ार दे, निफ़ास की अवस्था में तलाक़ भी सही नही है।
मसअला 490. निफ़ास के ख़ून से पवित्र होने के बाद औरत को ग़स्ल करके अपनी इबादतों को करना चाहिए और बच्चे के पैदा होने के बाद दस दिन के अंदर अगर दोबारा ख़ून आ जाए और जिन दिनो में ख़ून आया है वह दस दिन या उससे कम हैं तो सब का सब निफ़ास है और बीच में जिन दिनों में पवित्र रही है उसकी इबादत भी सही है।
मसअला 491. अगर औरत प्रत्यक्ष में निफ़ास से पवित्र हो जाए मगर शंका यह हो कि अंदर ख़ून हो सकता है तो थोड़ी सी रूई अंदर दाख़िल करे अगर साफ़ हो तो ग़ुस्ल करके अपनी इबादतें करे।
मसअला 492. अगर निफ़ास का ख़ून दस दिन से अधिक आ जाए और वह औरत मासिक धर्म में विषेश दिनों की आदत वाली औरत हो तो उसकी आदत के दिनों के बराबर निफ़ास होगा, बाक़ी इस्तेहाज़ा और अगर उसकी मासिक धर्म में आदत समय विषेश की नही थी तो दस दिन तक निफ़ास होगा बाक़ी इस्तेहाज़ा।
मसअला 493. जिस औरत की मासिक धर्म में आदत दस दिन से कम हो और उसको निफ़ास आदत से अधिक आ जाए तो आदत के दिनो के बराबर निफ़ास माने और उसके बाद दसवें दिन तक एहतियाते वाजिब के अनुसार वाजिब इबादतों को नही करे। और अगर निफ़ास का ख़ून दस दिन से अधिक आ जाए तो मासिक धर्म की आदत के दिनों के बराबर निफ़ास माने बाक़ी को इस्तेहाज़ा, और इन कुछ दिनों मे जो इबादतें छोड़ी हैं उनकी क़ज़ा करे।
मसअला 494. बहुत सी औरतों के बच्चा पैदा होने के एक महीन या उससे भी अधिक दिनों तक ख़ून आता है, ऐसी औरतों की अगर मासिक धर्म में एक विषेश आदत हो तो अपनी आदत के अनुसार उतने दिनों तक निफ़ास माने और उसके बाद दस दिन तक इस्तेहाज़ा का हुक्म है, फिर दस दिन बीत जाने के बाद अगर उसके मासिक धर्म की आदत के दिनों के बराबर ख़ून आया हो तो मासिक धर्म के अहकाम का पालन करे, चाहे उसमें मासिक धर्म की निशानियां हों या न हों, और अगर उसके मासिक धर्म के दिनों के बराबर नही हो तो इस्तेहाज़ा है। मगर यह कि ख़ून में मासिक धर्म की निशानियां पाई जाती हों (तो मासिक धर्म है)
मसअला 495. जिन औरतों को बच्चा पैदा होने के बाद एक महीने या उससे अधिक दिनों तक ख़ून आता रहता है तो अगर उनकी माहवारी की आदत नही है तो शुरू के दस दिन निफ़ास है और उसके बाद के दस दिन इस्तेहाज़ा है उसके बाद के ख़ून में मासिक धर्म की निशानियां हैं तो मासिक धर्म अन्यथा वह भी इस्तेहाज़ा है।