224-223 (7) इन्तेक़ाल

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तौज़ीहुल मसाएल
222-219 (6) दो तिहाइ होना227-225 (8) इस्लाम लाना
मसअला 223. अगर इन्सान या किसी कोई ऐसा जानवर जो ख़ूने जहिन्दा रखता हो (जिसका ख़ून उछल कर निकता हो) के बदन का ख़ून किसी ऐसे जानवर के बदन में चला जाए जो ख़ूने जहिन्दा नही रखता और उसी के बदन का ख़ून कहा जाने लगे तो पवित्र है और इसी को इन्तेक़ाल कहते हैं। इसीलिए मछ्छर का ख़ून जो उसके बदल का भाग है पवित्र है चाहे वह वास्तव में इन्सान का ख़ून हो। लेकिन इन्सान का जो ख़ून जोंक चूस लेती है वह पवित्र नही है क्योंकि यह उसके बदन का ख़ून नही कहा जाता है।
मसअला 224. अगर मछ्छर का ख़ून निकले और पता न चले कि ख़ुद मछ्छर का ख़ून है या इन्सान का है जिससे उसने अभी अभी ताज़ा ख़ून चूसा है तो यह पवित्र है। लेकिन अगर पता चले कि अभी यह ख़ून मछछर के बदन का ख़ून नही बना है तो वह पवित्र नही है।
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