बारिश का पानी 41- 48

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तौज़ीहुल मसाएल
जारी पानी 34-4049-52 कुंवे का पानी
मसअला 41. बरिश का पानी भी बहते हुए पानी की तरह है और वह जिस अपवित्र वस्तू पर पड़ेगा उस को पवित्र कर देगा चाहे वह धरती हो या बदन हो। या कोई और वस्तू। लेकिश शर्त यह है कि उस में अपवित्र वस्तु के कण बाक़ी ना रहे और उसका धोवन उसमें से निकल जाए।
मसअला 42. बारिश की कुछ बूंदे काफ़ी नही हैं बलकि इतनी बारिश हो कि कहा जाए कि बारिश हुई है।
मसअला 43. अगर बारिश किसी ऐने नज़िस (वह चीज़ जो अपने अस्तित्व से ही अपवित्र हो और कभी पवित्र नही की जा सकती हो) वस्तू पर पड़े और उस की छीटें किसी दूसरी वस्तू पर पड़े तो एहतियाते वाजिब ये है की उस से बचा जाए।
मसअला 44. अगर धरती या छत पर अपवित्र वस्तु हो और उस पर बारिश हो तो एहतियाते वाजिब यह है कि उस पानी से बचा जाए लेकिन जो बारिश अपवित्र वस्तु पर नही हुई है वह पवित्र है और अगर दोनो पानी साथ में मिलकर बहें तो पवित्र हैं।
मसअला 45. अगर बारिश बरसते हुए बह कर छत से नीचे या उस स्थान पर पहुंच जाए जहां बारिश नही पड़ रही है तो वह स्थान भी पवित्र हो जाएगा मगर शर्त यह है कि बारिश रुक ना जाए।
मसअला 46. अगर किसी स्थान में बारिश का पानी भर जाए और लगातार बारिश हो रही हो तो वह पानी भी बारिश के पानी का हुक्म रखता है। और हर अपवित्र वस्तु को पवित्र कर देगा चाहे कुर से कम हो।
मसअला 47. अगर अपवित्र धरती पर पवित्र बिछौना पड़ा हो और उस पर बारिश हो जाए और पानी उस के नीचे से बहने लगे तो वह बिछौना अपवित्र नही होना बल्कि ज़मीन को भी पवित्र कर देगा।
मसअला 48. अगर बारिश का पानी किसी ऐसी हौज़ पर गिरे जिस का पानी अपवित्र है और बारिश का पानी उस से मिल जाए तो हौज़ का पानी पवित्र हो जाएगा।
जारी पानी 34-4049-52 कुंवे का पानी
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