मसअला 34. जारी पानी वह पानी है जो धरती से फूट कर निकले और बहने लगे जैसे सोता और धरती के गर्भ में बहने वाला पानी। या पहाड़ों पर जमी बर्फ पिघल कर बहने लगे और लगातार बहे तो ये सब बहने वाला पानी है।
मसअला 35. बहने वाला पानी चाहे कुर से कम हो फिर भी अपवित्र वस्तु के मिलने से अपवित्र नहीं होगा, हां अगर अपवित्र वस्तु के मिलने से रंग बू या स्वाद बदल जाए तो अपवित्र हो जाता है।
मसअला 36. अगर बहते हुए पानी में अपवित्र चीज़ पड़ जाए और उस के एक भाग के रंग, बू या स्वाद बदल दे तो वह भाग अपवित्र हो जाएगा और वह भाग जो सोते से मिला हुआ है चाहे कुर से कम हो वह पवित्र रहेगा, लेकिन अगर नहर का दूसरा पानी (बदले हुए पानी के अतिरिक्त) कुर से कम हुआ तो अपवित्र हो जाएगा, हां अगर वह बदला नही है और स्रोत से मिला हुआ है तो पवित्र है।
मसअला 37. ऐसा रुका हुआ पानी कि अगर उस में से कुछ पानी निकाल लिया जाए तो वह फिर भर जाए तो वह बहता हुआ पानी है। यानी अपवित्र चीज़ के मिलने से अपवित्र नही होगा जब तक उस का रंग, बू या स्वाद बदल ना जाए।
यही क़ानून उस रुके हुए पानी पर भी लागू होगा जो नहर के किनारे पर रुका मगर नहर से मिला होता है।
मसअला 38. जो सोता और धरती के गर्भ में बहने वाला पानी कभी फूट कर निकलता हो और कभी रुक जाता हो तो जिस समय वह फूट कर निकले बहता हुआ पानी है।
मसअला 39. शहरों और हमाम में नलों से जो पानी भेजा जाता है और जो पानी के बड़े स्रोत से मिला होता है वह भी बहते हुए पानी के हुक्म में है, मगर यह कि केवल स्रोत या स्रोत और नल दोनो का पानी मिलाकर कुर से कम ना
यही क़ानून उस रुके हुए पानी पर भी लागू होगा जो नहर के किनारे पर रुका मगर नहर से मिला होता है।
मसअला 38. जो सोता और धरती के गर्भ में बहने वाला पानी कभी फूट कर निकलता हो और कभी रुक जाता हो तो जिस समय वह फूट कर निकले बहता हुआ पानी है।
मसअला 39. शहरों और हमाम में नलों से जो पानी भेजा जाता है और जो पानी के बड़े स्रोत से मिला होता है वह भी बहते हुए पानी के हुक्म में है, मगर यह कि केवल स्रोत या स्रोत और नल दोनो का पानी मिलाकर कुर से कम ना
मसअला 40. अगर किसी बर्तन को नल के नीचे रख दें और वह भर जाए और वह लगातार नल से मिला रहे तो उसे बहता हुआ पानी कहा जाएगा।