मसअला 94. ख़ूने जहिन्दा रखने वाले जानवर का मुरदार अपवित्र है अगर वह स्वंय मरा हो लेकिन अगर धार्मिक अदेशों के विरुद्ध उसको ज़िबह किया गया हो तो पवित्र है लेकिन एहतियाते मुसतहिब यह है कि उससे परहेज़ किया जाए, इसलिए ग़ैर इस्लामी देशों से जो गोश्त और खाल लाई जाती है वह पवित्र है, परन्तु उस गोश्त को खाना हराम है, लेकिन अगर विश्वास हो कि धार्मिक अदेशों के अनुसार उसको ज़िबह किया गया है या लाने वाला बताए कि उसके धार्मिक अदेशों के अनुसार ज़िबह किया गया है तो उस गोश्त को खाना जाएज़ है।
मसअला 95. मरे हुए जानवर के वह अंग जिनमें जान नही होती है जैसे रोएं, बाल, नाख़ून वह पवित्र हैं। परन्तु हड्डी और दाँत के किसी भाग और सींध मे आत्मा नही होती है, लेकिन अगर उससे कोई चीज़ लग जाए तो जानवर को पीड़ा होती है तो उसके पवित्र होने में इश्काल है।
मसअला 96. जिन अंगों में जान नही होती है अगर उन इन्सान या जानवर के जीवन में अलग कर दिया जाए तो वह अपवित्र हैं चाहे थोड़ा सा ही गोश्त हो।
मसअला 97. जो खाल होंट, सर इन्सान के बदन के दूसरे भागों से अलग हो जाती है पवित्र है परन्तु अगर उस को नोच कर अलग किया जाए तो एहतियाते वाजिब है कि उससे बचा जाए।
मसअला 98. मुर्गी का अंडा जो मुर्गी के पेट से निकलता है पवित्र है परन्तु उस की झिल्ली कठोर हो गई हो, लेकिन फिर भी उस को पानी से पावित्र कर लेना चाहिए, यही हुक्म सब हलाल गोश्त परिन्दों का है।
मसअला 99. अगर भेड़ या बकरी का बच्चा जो अभी घास ना खाता हो मर जाए तो उस के थन मे जो दूध या पनीर जैसी चीज़ है वह पवित्र है परन्तु एहतियाते वाजिब है कि उस के ऊपरी भाग को पवित्र करना चाहिए।
मसअला 100. मुसलमानो के बाज़ार मे जो गोश्त चमड़ा और चरबी बेची जाती है या मुसलमाल किसी के लिए उपहार लाता है तो वह पवित्र है लेकिन अगर मालूम हो कि उस मुलमान ने किसी काफ़िर से लिया है और छानबीन नही की है तो उससे बचना मुसतहिब है, लेकिन उसका खाना हराम है।
मसअला 101. ग़ैर मुस्लिम देशों से जो चीज़े लाई जाती है जैसे मक्खन, पनीर, पालिश, साबुन, इत्र, कपड़े आदि अगर इन्सान को इन के अपवित्र होने का विश्वास नही है तो ये सब पवित्र है।