शौच के मुसतहिब और मकरूह काम 84-87

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तौज़ीहुल मसाएल
इसतिब्रा 78-83 अपवित्र चीज़ें - 88
मसअला 84. मुसतहिब है कि शौच के समय ऐसी जगह बैठे जहां कोई देख ना सके और उस समय सर का ढांपना भी मुसतहिब है।
मसअला 85. शौच के समय कुछ काम मकरूह हैः
1. फलदार पेडों के नीचे पेशाब या पाख़ाना करना।
2. लोगों की आने जानी की जगह पर पेशाब या पाख़ाना करना चाहे कोई देख ना रहा हो।
3. घरों के पास।
4. चाँद और सूरज के सामने परन्तु अगर गुप्तांग को ढक ले तो मकरूह नही है।
5. देर तक बैठना।
6. बातें करना लेकिन अगर बात करना आवश्यक हो या ख़ुदा को याद कर रहा हो तो कोई हर्ज नही है।
7. खड़े हो कर पेशाब करना।
8. पानी मे पेशाब करना विशेषकर ठहरे हुए पानी में।
9. कीड़ों के बिल में पेशाब करना।
10. कठोर ज़मीन पर जिससे छीटें उड़ें, हवा के रुख़ पर पेशाब करना।
मसअला 86. पेशाब और पाख़ाने को रोकना मकरूह है और अगर हानि का कारण बने तो इश्काल है।
मसअला 87. सोने से पहले, नमाज़ से पहले, संभोग से पहले, वीर्य निकलने के बाद पेशाब करना मुसतहिब है।
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