मसअला 234. अगर जानवर का बदन अपवित्र हो जाए तो अपवित्र चीज़ के दूर होते ही उसका बदन पवित्र हो जाता है। जैसे किसी पक्षी की चोंच में ख़ून लगा हो या पक्षी किसी ख़ून भरी वस्तु पर बैठा हो तो अपवित्र चीज़ के दूर होते ही जानवर का बदन पवित्र हो जाएगा।
मसअला 235. अगर इन्सान के बदन का अंदरूनी भाग (जैसे मुंह, या नाक का अंदरूनी भाग) अपवित्र हो जाए तो अपवित्र चीज़ के दूर होते ही वह पवित्र हो जाता है जैसे अगर मसूढ़े से ख़ून आ जाए और धूक में मिल कर समाप्त हो जाए या ख़ून बाहर थूक दे तो मुंह का अंदरूनी भाग पवित्र करना आवश्यक नही है, अगर मुंह में कृत्रिम दांत लगे हों तो एहतियाते वाजिब है कि उनको पवित्र करे।
मसअला 236. अगर मुंह या दांतों में खाना रह जाए और मुंह के अंदर ख़ून आ जाए और यह पता न चले कि उस खाने में ख़ून लगा है या नही तो वह खाना पवित्र है और अगर ख़ून खाने को लग जाए तो वह अपवित्र है और उस खाने को खाना हराम है।
मसअला 237. होंट या इसी प्रकार का कोई अंग जिसके बारे में इन्सान को मालूम न हो कि यह बदन का अंदरूनी भाग है या बाहरी, अगर वह अपवित्र हो जाए तो उसको पवित्र करना होगा।
मसअला 238. अगर बदन, कपड़ा, फ़र्श या इसी प्रकार की किसी वस्तु पर अपवित्र धूल मिट्टी बैठ जाए और दोनो सूखे हों तो अपवित्र नही होंगें केवल उनको झाड़ देना काफ़ी है इसी प्रकार अगर नमी फैलने वाली न हो तो भी अपवित्र नही होंगे लेकिन अगर उनमें से कोई एक तर हो तो अपवित्र हो जाएगा और अगर धूल मिट्टी की अपवित्रता के बारे में शक हो तो पवित्र है।