मसअला 143. जब कोई पवित्र चीज़ अपवित्र चीज़ से मिल जाए उसमे से कोई एक गीली हो पवित्र चीज़ अपवित्र हो जाएगी, लेकिन अगर दोनो सूखी हो या गीला पन इतना कम हो कि सरायत ना करे तो अपवित्र नही होगी, परन्तु अगर कोई चीज़ शव को ग़ुस्ल देने से पहले मिल जाए तो एहतियाते वाजिब यह है कि उस से बचा जाए चाहे वह सूखी ही क्यों ना हो।
मसअला 144. अगर अपवित्र चीज़ के लगने या गीली होने मे शक हो तो वह चीज़ अपवित्र नही होगी।
मसअला 145. अगर यह तो मालूम हो कि बिछाने वाली किसी चीज़ या कपड़े का एक भाग अपवित्र हो गया है लेकिन यह मालूम ना हो कि कौन सा भाग अपवित्र हुआ है तो अगर किसी एक भाग पर हाथ लगा दे तो हाथ अपवित्र नही होगा। इसी तरह हर वह दो चीज़ें जिनके बारे मे मालूम हो कि उनमें एक अपवित्र है लेकिन यह मालूम ना हो कि कौन सी अपवित्र है तो उन दोनो मे से किसी एक के लग जाने से कोई चीज़ अपवित्र नही होगी।
मसअला 146. घी, तेल या शीरा अगर तरल हो एक क़तरे के अपवित्र होने से पूरा का पूरा अपवित्र हो जाता है, लेकिन अगर जमा हुआ हो तो जहाँ पर अपवित्र चीज़ गिरी है सिर्फ वही भाग अपवित्र होगा इस लिए उतने हिस्से को निकाल कर बाहर फेंका जा सकता है।
मसअला 147. धरती, कपड़ा या उस के जैसी को ईचीज़ अगर गीली हो और कोई अपवित्र चीज़ उससे लग जाए तो वही भाग अपवित्र होगा जहां अपवित्रता लगी है बाकी पवित्र रहेगा, लकिन अगर गीलापन इतनी अधिक हो कि एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंच जाए तो सब अपवित्र हो जाएगी। यही हाल लकड़ी, खीरा, खरबूज़ा, दही आदि का भी है कि अगर गीलापन बहुत अधिक नही हो तो केवल वही स्थान नजिस होगा जहां पर नजासत लगी है।
मसअला 148. अगर मक्खी या कोई ऐसी ही चीज़ अपवित्र चीज़ पर बैठ जाए जो गीली हो उसके बाद पवित्र चीज़ पर बैठे तो पवित्र चीज़ अपवित्र नही होगी, क्योंकि ये संभावना है कि इस प्रकार के कीड़े मकोड़े के पैरों मे गीलेपन ना लगता हो लेकिन अगर मालूम हो जाए कि मक्खी के पैर मे अपवित्रता लगी थी और वह अपवित्रता सरायत कर गई है तो अपवित्र है।
मसअला 149. बदन का वह हिस्सा जिस पर पसीना हो अगर वह अपवित्र हो जाए तो पसीना जहां जहां बहेगा वह भाग अपवित्र हो जाएगा।
मसअला 150. गले या नाक से जो थूक और बलग़म आदि निकलता है अगर वह गाढ़े हों और उसमे किसी स्थान पर थोड़ा सा ख़ून हो तो वही भाग अपवित्र है लेकिन अगर वह गाढ़ा ना हो तो पूरा पूरा का अपवित्र है।
मसअला 151. अगर किसी ऐसे बरतन को जिसके नीचे के भाग मे छेद हो अपवित्र धरती पर रख दे तो अगर पानी तेज़ी से उसके अंदर से निकल रहा हो तो बरतन का अंदर का भाग अपवित्र नही होगा।
मसअला 152. अगर कोई नोकीली चीज़ बदन के अंदर नजिस चीज़ (जैसे ख़ून) से लग जाए तो इहतियाते वाजिब के अनुसार अपवित्र हो जाएगी चाहे बाहर आ कर गंदी ना भी हो यही हुक्म थूक और नाक का है कि अगर मुंह के अंदर ख़ून से मिल जाए तो एहतियात यह है कि इससे बचा जाए।
मसअला 153. अगर कोई चीज़ अपवित्र हो जाए जैसे हाथ पर पेशाब लग जाए तो अगर गीले हाथ से किसी चीज़ को पकड़ लें तो वह चीज़ भी अपवित्र हो जाएगी।
अपवित्र चीज़ों के अहकाम