मसअला 507. मोहतज़र यानि वह व्यक्ति जिसके प्राण निकने वाले हो तो एहतियाते वाजिब के अनुसार उसको इस प्रकार लिटाना चाहिए कि उसके दोनो पैरों के तलवे क़िब्ले की तरफ़ हों चाहे मरने वाला मर्द हो या औरत, बड़ा हो या छोटा और अगर पूर्ण रूप से इस प्रकार लिटाना संभव नही हो तो एहतियाते वाजिब के अनुसार जितना संभव हो उतना ही इस नियम का पालन करें और अगर बिलकुल ही संभव नही हो तो क़िब्ले की तरफ़ चेहरा करके बिठा दें और अगर यह भी संभव नही हो तो दाहिनी करवट या बांई करवट क़िब्ले की तरफ़ चेहरा करके लिटा दें।
मसअला 508. एहतियाते मुसतहिब यह है कि मुर्दे को जब तक मरने के स्थान से हटाया नही गया हो क़िब्ले की तरफ़ ही रखें।
मसअला 509. जिसके प्राण निकलने वाले हों उसको क़िब्ले की तरफ़ चेहरा करके लिटाना हर मुसलमान पर वाजिब है और उसके उत्तराधिकारी से आज्ञा लेना आवश्यक नही है।
मसअला 510. मुसतहिब है कि जिस व्यक्ति के प्राण निकलने वाले हो उसको शहादतैन (لا الہ الا اللہ محمد رسول اللہ) बारह इमामों की इमामत का इक़रार, इस्लाम के सारे अक़ीदों की इस प्रकार पढ़े कि वह समझ सके और यह भी मुसतहिब है कि उसके मरने तक बारबार पढ़ता रहे।
मसअला 511. मुसतहिब है कि जिसके प्राण निकलने वाले के लिए यह दुआ इस प्रकार पढ़े कि वह समझ सके।
اللھم اغفر لی الکثیر من معاصیک و اقبل منی الیسیر من طاعتک یا من یقبل الیسیر و یعفو عن الکثیر اقبل منی الیسیر واعفو عنی الکثیر انک انت العفو الغفور اللھم ارحم فانک رحیم ۔
और बेहतर यह है कि जिसके प्राण निकलने वाले हैं वह स्वंय भी पढ़े।
मसअला 512. अगर किसी की जान मुश्किल से निकल रही हो तो मुसतहिब है कि उसको उसके नमाज़ के स्थान पर लिटा दें।
मसअला 513. जिसके प्राण निकलने वाले हैं उसको आराम पहुचाने के लिए बेहतर है कि उसके सरहाने सूरा “यासीन” और “साफ़्फ़ात” और “एहज़ाब” और “आयतल कुर्सी” और जितना संभव हो क़ुरआन पढ़े।
मसअला 514. जिसके प्राण निकलने वाले है उसको अकेला छोड़ना, या उसके पेट पर कोई भारी वस्तु रखना, मुजनिब और मासिक धर्म वाली औरत का पास रहना, रोना, बातचीत करना, केवल औरतों को उसके पास छोड़ देना मकरूह है।