का पालन करे। 594-597

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तौज़ीहुल मसाएल
दफ़्न के मुसतहिब्बात 588- 593क़ब्र खोलने के अहकाम 598-603
मसअला 594. एहतियाते वाजिब यह है कि मृतक पर रोते समय तेज़ आवाज़ में नही रोए और ना ही फ़रयाद करे।
नमाज़े वहशत
मसअला 595. मसतहिब है कि इस आशा से कि यह ईश्वर की बारगाह में पसंदीदा और अच्छा है दफ़्न होने की पहली रात को मृतक के लिए दो रकअत नमाज़े वहशत पढ़े जिस का तरीक़ा यह है कि पहली रकअत में अलहमद के बाद एक बार अयतल कुर्सी और दूसरी रकअत में अलहम्द के बाद दस बार انا انزلناہपढ़े और सलाम के बाद कहे
اللھم صل علی محمد و آل محمد و ابعث ثوابھا الی قبر فلاں
(फ़लां के स्थान पर मृतक का नाम ले)
मसअला 596. दफ़्न की रात जिस समय भी चाहे नमाज़े वहशत पढ़ सकता है लेकिन इशा की नमाज़ के बाद पढ़ना अधिक उत्तम है।
मसअला 597. अगर मृतक को दफ़्न करने में किसी कारणवश देरी हो जाए तो नमाज़े वहशत में भी क़ब्र की पहली रात तक देरी की जाएगी।
दफ़्न के मुसतहिब्बात 588- 593क़ब्र खोलने के अहकाम 598-603
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