इसतिब्रा 78-83

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तौज़ीहुल मसाएल
शौचालय के अहकाम (पेशाब और पाख़ाना करना)63-77शौच के मुसतहिब और मकरूह काम 84-87
मसअला 78. इस्तिबरा एक मुसतहिब काम है जिस को आदमी पेशाब करने के बाद करते हैं। ताकि पेशाब के बाद जो बूंदें रागों मे रह गई हैं निकल जाएं। वह इस प्रकार किया जाता है कि कुछ बार लिंग के नीचे वाले भाग को ऊपर की तरफ़ खींचते हैं और अगले भाग को कुछ बार दबाते हैं, ताकि पेशाब की जो बूंदे रगों में रह गईं हैं वह बाहर निकल जाएं। वीर्य निकलने के बाद का इस्तिबरा पेशाब करना है यानी पेशाब कर ले ताकि वीर्य के कण निकल जाएं।
मसअला 79. इन्सान के पेशाब के स्थान से पेशाब और वीर्य के अतिरिक्त हो पदार्थ निकलता है उनकी कुछ क़िस्में हैः
1.वह पदार्थ जो कभी-कभी पेशाब के बाद निकलती है और सफेद और चमकदार होती है उसको “वदी” कहते हैं।
2. पत्नी से छेड़छाड़ के समय जो पदार्थ निकलता है उसे “मज़ी” कहते हैं।
3. वह पदार्थ जो कभी-कभी वीर्य निकलने के बाद निकलता है उसको “वज़ी” कहते हैं ये सब पदार्थ पवित्र हैं लेकिन शर्त यह है कि लिंग की नली वीर्य और पेशाब से अपवित्र ना हों और इन पदार्थों से वज़ू और ग़ुस्ल भी ख़राब नही होता है।
मसअला 80. पेशाब के बाद इस्तिबरा करने का फ़ाएदा यह है कि पेशाब की नली को पेशाब से पाक कर देता है, और अगर इस्तिबरा करने के बाद कोई संदिग्ध तरी निकले तो वह पवित्र है और वज़ू को भी नही तोड़ती है, लेकिन अगर इस्तिबरा नही किया है तो (तरी निकलने के बाद) उस स्थान को धोए और दोबारा वज़ू करे।
मसअला 81. वीर्य निकलने के बाद इस्तिबरा का फ़ाएदा यह है कि अगर कोई संदिग्ध पदार्थ निकले और पता ना चले कि वीर्य है या कोई पवित्र चीज़ तो उसपर ग़ुस्ल वाजिब नही है, लेकिन अगर इस्तिबरा नही करे और यह संभावना हो कि वीर्य की बूंदें पेशाब की नाली में रह गए होगें और पेशाब या किसी और पदार्ध के साथ निकले होंगे तो दोबारा ग़ुस्ल करना चाहिए।
मसअला 82. अगर शक हो कि इस्तिबरा किया है कि नही तो निकलने वाले पदार्थ से बचना चाहिए परन्तु अगर इस्तिबरा किया था मगर ये शक हो कि सही किया था या नही तो उसकी परवाह ना करे वह सही है।
मसअला 83. औरत के लिए इस्तिबरा नही है, अगर उससे कोई संदिग्ध पदार्ध निकले तो पवित्र है, वज़ू और ग़ुस्ल की आवश्यकता नही है।
शौचालय के अहकाम (पेशाब और पाख़ाना करना)63-77शौच के मुसतहिब और मकरूह काम 84-87
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