64. इजतेहाद का दरवाज़ा हमेशा खुला हुआ है।

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हमारे(शियों के)अक़ीदे
63. फ़िक़्ह के चार आधार 65. क़ानूनी ख़ला का वुजूद नही है
64इजतेहाद का दरवाज़ा हमेशा खुला हुआ है।
हमारा मानना है कि शरीअत के तमाम मसाइल के लिए इजतेहाद का दरवाज़ा खुला हुआ है और सभी साहिबे नज़र फ़कीह ऊपर बयान किये गये चार मनाबों से अल्लाह के अहकाम को इस्तंबात कर के उन लोगों के हवाले कर सकते हैं जो अहकामे इलाही के इसतंबात की क़ुदरत नही रखते। चाहे इन के नज़रिये पुराने फ़क़ीहों से मुताफ़ावित ही क्योँ न हो। हमारा अक़ीदह है कि जो अफ़राद फ़िक़्ह में साहिबे नज़र नही है उनको चाहिए कि किसी ज़िन्दा फ़क़ीही तक़लीद करे ऐसे ज़िन्दा फ़क़ीह की जो ज़मान व मकान के मसाइल से आगाह हो । फ़क़ीह की तरफ़ गैरे फ़क़ीही का रुजूअ करना हमरे नज़दीक बदीहीयात में से है। हम इन फ़क़ीहों को “मरआ-ए- तक़लीद ” कहते हैं। हमरे नज़दीक इबतदाई तौर पर किसी मुर्दा फ़क़ीह की तक़लीद भी जाइज़ नही है। अवाम के लिए ज़रूरी है कि वह किसी ज़िन्दा फ़क़ीह की तक़लीद करें ताकि फ़िक़्ह हमेशा हरकत में रहे और तकामुल की मंज़िले तैय करती रहे।
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