60. अदले इलाही

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हमारे(शियों के)अक़ीदे
59. फ़िक़्ह का एक आधार अक़्ली दलील भी है60. दर्द नाक हादसों का फ़लसफ़ा
60अदले इलाही
जैसे कि पहले इशारा किया जा चुका है कि अल्लाह के आदिल होने के क़ाइल हैं और हमारा इस बात पर यक़ीन है कि अल्लाह अपने बन्दों पर किसी तरह का कोई ज़ुल्म नही करता है। क्यों कि ज़ुल्म एक बुरा काम है और अल्लाह तमाम बुरे कामों से पाक है। “व ला यज़लिमु रब्बुका अहदन”[1] यानी तुम्हारा रब किसी पर ज़ुल्म नही करता।
अगर कोई इस दुनिया या आख़िरत में किसी मुसीबत में गिरफ़्तार होता है तो वह ख़ुद उसके आमाल का नतीजा होता है। “फ़मा काना अल्लाहु लियज़्लिमा हुम व लाकिन कानू अनफ़ुसा हुम यज़लिमून”[2] यानी अल्लाह ने उन पर( वह गुज़िश्ता उम्मतें जो अल्लाह के अज़ाब में मुबतला हुईं) ज़ुल्म नही किया बल्कि उन्होंने ख़ुद अपने नफ़्सों पर ज़ुल्म किया।
अल्लाह सिर्फ़ इंसानों पर ही नही बल्कि इस दुनिया में मौजूद किसी भी चीज़ पर ज़ुल्म नही करता “व मा अल्लाहु युरीदु ज़ुलमन लिलआलमीना”[3] यानी अल्लाह किसी भी मौजूद पर ज़ुल्म नही करना चाहता। यह तमाम अयतें हक्मे अक़्ल की ताईद करती है।
तकलीफ़े मा ला युताक़ की नफ़ी
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह कभी भी इंसान को ऐसे काम का हुक्म नही देता जो उसकी सकत से बाहर हो “ला युकल्लिफ़ु अल्लाहु नफ़्सन इल्ला वुसआहा”[4]
59. फ़िक़्ह का एक आधार अक़्ली दलील भी है60. दर्द नाक हादसों का फ़लसफ़ा
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