50आइम्मा पैग़म्बरे इस्लाम (स.)के ज़रिये मुऐय्यन हुए है।
हमारा अक़ीदह है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स.)ने अपने बाद के लिए इमामों को मुऐय्यन फ़रमाया है और एक मक़ाम पर बतौरे उमूम मोर्रफ़ी कराई है।
सही मुस्लिम मे रिवायत है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स.)ने मक्के और मदीने के दरमियान “खुम” नामी सरज़मीन पर तवक़्क़ुफ़ किया,एक ख़ुत्बा बयान किया और उस के बाद फ़रमायाकि “मैं जल्द ही तुम लोगों के दरमियान से जाने वाला हूँ इन्नी तारिकुन फ़ीकुम अस्सक़लैन,अव्वलुहुमा किताबल्लाहि फ़ीहि अलहुदा व अन्नूर ........व अहला बैती ,उज़क्किर कुम अल्लाहा फ़ी अहलि बैति ” [129] यानी मैं तुम लोगों के दरमियान दो गराँ क़द्र चीज़े छोड़ कर जा रहा हूँ इन में से एक अल्लाह की किताब है जिस में नूर और हिदायत है.....और दूसरे मेरे अहले बैत हैं मैं तुम को वसीयत करता हूँ कि ख़ुदारा मेरे अहले बैत को फ़रामोश न करना (इस जुम्ले को तीन बार तकरार किया)
यही मतलब सही तिरमिज़ी में भी बयान हुआ है और उसमें सराहत के ,साथ बयान किया गया है कि पैग़म्बरे इसलाम ने फ़रमाया कि अगर इन दोनों के दामन से वाबस्ता रहे तो हर गिज़ गुमराह नही होंगे। [130]यह हदीस सुनने दारमी,ख़साइसे निसाई,मुस्नदे अहमद व दिगर मशहूर किताबों में नक़्ल हुई है। इस हदीस में कोई तरदीद नही है और हदीसे तवातुर शुमार होती है कोई भी मुसलमान इस हदीस से इंकार नही कर सकता। रिवायात में मिलता है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने इस हदीस को सिर्फ़ एक बार ही नही बल्कि मुताद्दिद मर्तबा मुख़्तलिफ़ मौक़ों पर बयान फ़रमाया।
ज़ाहिर है कि पैग़म्बरे इस्लाम के तमाम अहले बैत तो क़ुरआन के साथ यह बलन्द व बाला मक़ाम हासिल नही कर सकते लिहाज़ा यह इशारा फ़क़त पैग़म्बरे इस्लाम (स.)की ज़ुर्रियत से आइम्मा-ए-मासूमीन अलैहिमु अस्सलाम की तरफ़ ही है। (कुछ ज़ईफ़ व मशकूक हदीसों में अहला बैती की जगह सुन्नती इस्तेमाल हुआ है।)
हम एक दूसरी हदीस के ज़रिये जो सही बुख़ारी,सही मुस्लिम,सही तिरमिज़ी,सही अबी दाऊद व मुसनदे हंबल जैसी मशहूर किताबों में नक़्ल हुई है इस्तेनाद करते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स.)ने फ़रमाया कि “ला यज़ालु अद्दीनु क़ाइमन हत्ता तक़ूमा अस्साअता अव यकूनु अलैकुम इस्नता अशरा ख़लीफ़तन कुल्लुहुम मिन क़ुरैश ”[131] यानी दीने इस्लाम क़ियामत तक बाक़ी रहेगा यहाँ तक कि बारह ख़लीफ़ा तुम पर हुकूमत करेंगे और यह सब के सब क़ुरैश से होंगे।
हमारा अक़ीदह है कि इन रिवायतों के लिए उस अक़ीदेह के अलावा जो शिया इमामियह का बारह इमामों के बारे में पाया जाता है कोई दूसरी तफ़्सीर क़ाबिले क़बूल नही है। ग़ौर करो कि क्या इस के अलावा भी और कोई तफ़्सीर हो सकती है।