12. नबियों की बेसत का फलसफ़ा

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हमारे(शियों के)अक़ीदे
11. न तर्क न तशबीह13. आसमानी अदयान की पैरवी करने वालों के साथ ज़िन्दगी बसर करना।

12नबियों की बेसत का फलसफ़ा

हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह ने नोए बशर (इँसानों)की हिदायत के लिए और इँसानों को कमाले मतलूब व अबदी सआदत तक पहुँचाने के लिए पैग़म्बरों को भेजा है। क्योँ कि अगर ऐसा न करता तो इँसान को पैदा करने का मक़सद फ़ोत हो जाता, इँसान गुमराही के दरिया मे ग़ोता ज़न रहता और इस तरह नक़्ज़े ग़रज़ लाज़िम आती। “रसूलन मुबश्शेरीना व मुँज़िरीना लिअल्ला यकूना लिन्नासि अला अल्लाहि हुज्जतन बअदा रसुलि व काना अल्लाहु अज़ीज़न हकीमन ”[39] यानी अल्लाह ने खुश ख़बरी देने और डराने वाले पैग़म्बरों को भेज़ा ताकि इन पैग़म्बरो को भेज ने के बाद लोगो पर अल्लाह की हुज्जत बाकी न रहे (यानी वह लोगों को सआदत का रास्ता बतायें और इस तरह हुज्जत तमाम हो जाये)और अल्लाह अज़ीज़ व हकीम है।
हमारा अक़ीदह है कि तमाम पैग़म्बरो में से पाँच पैग़म्बर “उलुल अज़्म” (यानी साहिबाने शरीअत, किताब व आईने जदीद)थे। जिन को नाम इस तरह हैं
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम
हज़रत इभ्राहीम अलैहिस्सलाम
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और
हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि अजमईन।
“व इअज़ अख़ज़ना मिन अन्नबिय्यीना मीसाक़ाहुम व मिनका वमिन नूहि व इब्राहीमा व मूसा वईसा इब्नि मरयमा व अख़ज़ना मिन हुम मीसाक़न ग़लीज़न ”[40] यानी उस वक़्त को याद करो जब हमने पैग़म्बरों से मीसाक़ (अहदो पैमान) लिया (जैसे) आप से ,नूह से , इब्राहीम से, मूसा से और ईसा ईब्ने मरयम से और हम ने उन सब से पक्का अहद लिया (कि वह रिसालत के तमाम काम में और आसमानी किताब को आम करने में कोशिश करें)
“फ़सबिर कमा सबरा उलुल अज़्मि मिन अर्रसुलि ”[41] यानी इस तरह सब्र करो जिस तरह उलुल अज़म पैग़म्बरों ने सब्र किया।
हमारा अक़ीदह है कि हज़रत मुहम्मद (स.)अल्लाह के आख़िरी रसूल हैं और उनकी शरिअत क़ियामत तक दुनिया के तमाम इँसानों के लिए है। यानी इस्लामी तालीमात,अहकाम मआरिफ़ इतने जामे हैं कि क़ियामत तक इँसान की तमाम माद्दी व मअनवी ज़रूरतों को पूरा करते रहेंगे। लिहाज़ा अब जो भी नबूवत का दावा करे व बातिल व बे बुनियाद है।
“व मा मुहम्मदुन अबा अहदिन मिन रिजालिकुम व लाकिन रसूलु अल्लाहि व ख़ातमि अन्नबिय्यीना व काना अल्लाहि बिकुल्लि शैइन अलीमन ”[42] यानी मुहम्मद(स.) तुम में से किसी मर्द के बाप नही है लेकिन वह अल्लाह के रसूल और सिलसिलए नबूवत को ख़त्म करने वाले हैं और अल्लाह हर चीज़ का जान ने वाला है।(यानी जो ज़रूरी था वह उन के इख़्तियार में दे दिया है)

11. न तर्क न तशबीह13. आसमानी अदयान की पैरवी करने वालों के साथ ज़िन्दगी बसर करना।
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