14. अँबिया का अपनी पूरी ज़िन्दगी में मासूम होना

SiteTitle

صفحه کاربران ویژه - خروج
ورود کاربران ورود کاربران

LoginToSite

SecurityWord:

Username:

Password:

LoginComment LoginComment2 LoginComment3 .
SortBy
 
हमारे(शियों के)अक़ीदे
13. आसमानी अदयान की पैरवी करने वालों के साथ ज़िन्दगी बसर करना।15. अँबिया अल्लाह के फ़रमाँ बरदार बन्दे हैं।
14अँबिया का अपनी पूरी ज़िन्दगी में मासूम होना
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह के तमाम पैग़म्बर मासूम हैं यानी अपनी पूरी ज़िन्दगी में चाहे वह बेसत से पहले की ज़िन्दगी हो या बाद की गुनाह, ख़ता व ग़लती से अल्लाह की तईद के ज़रिये महफ़ूज़ रहते हैं। क्योँ कि अगर वह किसी गुनाह या ग़लती को अँजाम दे गें तो उन पर से लोगों का एतेमाद ख़त्म हो जायेगा और इस हालत में न लोग उनको अपने और अल्लाह के दरमियान एक मुतमइन वसीले के तौर पर क़बूल नही कर सकते हैं और न ही उन को अपनी ज़िन्दगी के तमाम आमाल में पेशवा क़रार दे सकते हैं।
इसी बिना पर हमारा अक़ीदह यह है कि क़ुरआने करीम कि जिन आयात में ज़ाहिरी तौर पर नबियों की तरफ़ गुनाह की निस्बत दी गई है वह “तरके औला” के क़बील से है। (तरके औला यानी दो अच्छे कामों में से एक ऐसे काम को चुन ना जिस में कम अच्छाई पाई जाती हो जबकि बेहतर यह था कि उस काम को चुना जाता जिस में ज़्यादा अच्छाई पाई जाती है।)या एक दूसरी ताबीर के तहत “हसनातु अलअबरारि सय्यिआतु अलमुक़र्राबीन”[44]कभी कभी नेक लोगों के अच्छे काम भी मुक़र्रब लोगों के गुनाह शुमार होते हैं। क्योँ के हर इँसान से उस के मक़ाम के मुताबिक़ अमल की तवक़्क़ो की जाती है।
13. आसमानी अदयान की पैरवी करने वालों के साथ ज़िन्दगी बसर करना।15. अँबिया अल्लाह के फ़रमाँ बरदार बन्दे हैं।
12
13
14
15
16
17
18
19
20
Lotus
Mitra
Nazanin
Titr
Tahoma