57. अद्ले इलाही

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हमारे(शियों के)अक़ीदे
56. हुस्न व क़ुब्हे अक़ली का मसअला58. इंसान की आज़ादी
57 अद्ले इलाही
इसी बिना पर हम अल्लाह के अद्ल के मोतक़िद हैं और कहते हैं कि यह मुहाल है कि अल्लाह अपने बन्दों पर ज़ुल्म करे,किसी दलील के बग़ैर किसी को सज़ा दे या माफ़ कर दे,अपने वादे को वफ़ा न करे,किसी गुनाहगार व ख़ताकार इंसान को अपनी तरफ़ से मंसबे नबूवत मंसूब करे और अपने मोजज़ात उसके इख़्तियार में दे।
और यह भी मुहाल है कि उस ने अपने जिन बन्दों को राहे सआदत तैय करने के लिए ख़ल्क़ किया है,उन को किसी राहनुमा या रहबर के बग़ैर छोड़ दे। क्योँ कि यह सब काम क़बीह (बुरे )हैं और अल्लाह के लिए बुरे काम अंजाम देना रवाँ नही हैं।
56. हुस्न व क़ुब्हे अक़ली का मसअला58. इंसान की आज़ादी
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