62दुनिया का निज़ाम बेहतरीन निज़ाम है।
हमारा अक़ीदह है कि इस दुनिया में जो निज़ाम मौजूद है वह बेहतरीन निज़ाम है और यही निज़ाम दुनिया पर हुक्म फ़रमा हो सकता है। इस निज़ाम में हर चीज़ एक हिसाब के तहत है और कोई भी चीज़ हक़, अदालत व नेकी के ख़िलाफ़ नही है। अगर इंसानी समाज में कोई बुराई पाई जाती है तो वह ख़ुद इंसानों की तरफ़ से है।
हम इस बात की फिर तकरार कर दें कि हमारा अक़ीदह है कि इस्लामी जहान बीनी का असली पाया अद्ले इलाही है और अगर इसको मलहूज़े ख़ातिर न रखा जाये तो तौहीद, नबूवत व मआद ख़तरे में पड़ सकते हैं।
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि “इन्ना असासा अद्दीनि अत्तौहीदु व अलअद्लु अम्मा अत्तौहीदु फ़अन ला तुजव्विज़ा अला रब्बिका मा जाज़ा अलैका , व अम्मा अल अद्लु फ़अन ला तनसिब इला ख़ालिक़िका मा लामका अलैहि ”[9] यानी दीन की बुनियाद तौहीद व अदालत पर है, तौहीद यह है कि जो चीज़ तुम्हारे लिए रवा है उन को उस के लिए रवा न रखो( यानी उस के मुमकिनुल वुजूद के तमाम सिफ़ात से मुनज़्ज़ह समझो) और अद्ल यह है कि उस अमल की अल्लाह की तरफ़ निसबत न दो जिस को अंजाम देने पर तुम्हारी मज़म्मत होती हो।