39. क़ियामत में शुहूद व गवाह

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हमारे(शियों के)अक़ीदे
38. मआद व आमाल नामें 40. सिरात व मिज़ान
39क़ियामत में शुहूद व गवाह
हमारा अक़ीदह है कि क़ियामत में इस के इलावा कि अल्लाह हमारे तमाम आमाल पर शाहिद है कुछ गवाह भी हमारे आमाल पर गवाही दें गे जैसे हमारे हाथ पैर,हमारे बदन की खाल, ज़मीन जिस पर हम ने ज़िन्दगी बसर करते हैं और इस के इलावा भी बहुत से हमारे आमाल पर गवाह हों गे।
“अल यौमा नख़तिमु अला अफ़वाहि हिम व तुकल्लिमुना अयदिहि व तशहदु अरजुलु हुम बिमा कानू यकसिबूना ”[103] यानी इस दिन (रोज़े क़ियामत) हम उन के मुँह पर मोहर लगा दें गे और उन के हाथ हम से बाते करें गे। और उन के पैरों ने जो काम अन्जाम दिये हैं वह उन के बारे में गवाही दें गे।
“व क़ालू लिजुलुदि हिम लिमा शहिद्तुम अलैना क़ालू अनतक़ना अल्लाहु अल्लज़ी अनतक़ा कुल्ला शैइन। ”[104] यानी वह लोग अपने बदन की खाल से कहें गे कि हमारे ख़िलाफ़ गवाही क्यों दी ? तो उनको जवाब मिले गा कि जो अल्लाह हर चीज़ में बोलने की सलाहिय्यत पैदा करता है उस ने ही हम को बोल ने ताक़त दी। (और हम को राज़ों के फ़ाश करने की जिम्मेदारी सौंपी)
“यौमाइज़िन तुहद्दिसु अख़बारहा * बिअन्ना रब्बका अवहा लहा।”[105] यानी उस दिन ज़मीन अपनी ख़बरें बयान करेगी इस लिए कि आप के परवर दिगार ने उस पर वही की है( कि इस ज़िम्मेदारी को अन्जाम दे)
38. मआद व आमाल नामें 40. सिरात व मिज़ान
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